अस्तित्व फाउंडेशन द्वारा गरीब और जरूरतमंद बच्चों के साथ शाडू मिट्टी गणेश मूर्ति कार्यशाला का निःशुल्क आयोजन....
लेकिन दसवें दिन मूर्ति को पानी में क्यों विसर्जित किया जाना चाहिए!! मामला डिस्पोजल का नहीं है बल्कि पीओपी से बनी मूर्ति का है।
पहले मूर्तियां मिट्टी से बनती थीं इसलिए इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता था लेकिन समय के साथ ये मूर्तियां पीओपी से बनने लगी हैं इसलिए इससे पर्यावरण पर असर पड़ रहा है।
एक संदेश देते हुए अस्तित्व फाउंडेशन द्वारा शाडू मिट्टी गणेश मूर्ति निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
यह कार्यशाला राष्ट्रीय शाला बड़ी उमरी में आयोजित की गई थी।इस अवसर पर संगठन के पदाधिकारी गौरव मौर्य, गुंजन हिंगे, पीयूष खंडारे, नीलेश महिसने, करून मोरे, अंकुश चौधरी, राम सोनटक्के, प्रदीप वायकर, प्रतीक्षा कक्कड़, विपुल बड़े, रोहित चौधरी, देवीदास दलाल उपस्थित थे और बांसुरी वादक आशीष उमाले, स्वनील उमाले समेत अस्तित्व फाउंडेशन के स्वयंसेवक प्रमुखता से उपस्थित थे।