महाराष्ट्र में मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई करे सरकार - एमपीजे

महाराष्ट्र में मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई करे सरकार - एमपीजे
अकोला - देश की जानी मानी जन आन्दोलन “ मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर ( एमपीजे ) ने प्रदेश में राज्य व्यापी “ रुग्णांचे हक्क अभियान ” का आयोजन किया, जिसके तहत आम जन में मरीज़ों के अधिकारों के बारे में जन जागृति पैदा करने का प्रयास किया गया और लोगों को अस्पतालों और नर्सिंग होम में बतौर एक रोगी उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारें में जानकारी दी गई। 

इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश में जन जागृति के अलावा महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स पंजीकरण नियमों , 2021 में उल्लिखित अस्पतालों और नर्सिंग होम में मरीजों के अधिकारों की स्थिति का आकलन करना भी था। 

इस अभियान की समाप्ति पर एमपीजे मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील करती है कि , सरकार जनहित में आरोग्य सेवा को रोगी हितैषी बनाने के लिए तत्काल आवश्यक क़दम उठाए। 

इस सम्बन्ध में एमपीजे की सरकार से निम्नलिखित मांगें हैं।

रोगियों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल और व्यापक कार्रवाई की जाए। इसमें मौजूदा महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स पंजीकरण अधिनियम 1949 और महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स पंजीकरण ( संशोधन ) नियम , 2021 को पूरी तरह से लागू किया जाए , प्रभावी निरीक्षण तंत्र स्थापित करने के साथ साथ स्वास्थ्य सेवा संस्थानों के भीतर जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा देना शामिल है।

इन कानूनों और नियमों का पूर्ण अनुपालन यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि नर्सिंग होम और हेल्थकेयर प्रतिष्ठान देखभाल के उच्चतम मानकों को बनाए रखें , रोगी की सुरक्षा को प्राथमिकता दें , और अपने कार्यों के लिए जवाबदेह रहें । महाराष्ट्र में प्रत्येक नैदानिक प्रतिष्ठान ( Clinical Establishment ) में मरीजों के अधिकारों के मानक चार्टर का पालन किया जाए। 

इस चार्टर के अनुसार एक मरीज़ के बीमारी की कैफ़ियत , बीमारी का कारण , प्रस्तावित देखभाल , इलाज के अपेक्षित परिणाम , संभावित पेचीदगियों और इलाज पर होने वाले ख़र्च आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना , पुरुष डॉक्टर द्वारा किसी महिला रोगी की जांच एक महिला की उपस्थिति में करने और अस्पताल / नर्सिंग होम द्वारा चार्ज किए जाने वाले विभिन्न उपचारों के लिए रेट कार्ड अस्पताल / नर्सिंग होम में एक प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करना आदि हर मरीज़ का अधिकार है।

मरीजों के अधिकारों की रक्षा करने और रोगी - केंद्रित देखभाल को बढ़ावा देने की ग़र्ज़ से इस चार्टर का पालन सुनिश्चित कराया जाए।

उपरोक्त कानून के मुताबिक़ राज्य सरकार चिकित्सा लापरवाही या कुप्रबंधन के पीड़ितों की शिकायतों को सुनने और पीड़ितों को सहायता , सलाह और उपयुक्त राहत देने के लिए अविलम्ब प्राधिकरण स्थापित करे।  प्रदेश में समर्पित शिकायत निवारण कक्षों की स्थापना की जाए। रोगियों द्वारा अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए पुणे और नासिक जिलों के समान , राज्य भर में टोल - फ्री हेल्पलाइन नंबर की सेवा शुरू की जाए , ताकि लोग बिना किसी वित्तीय बोझ के आसानी से अपनी शिकायतों को सक्षम प्राधिकारी तक पहुंचा सकें।

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